Wednesday 1 July 2015

एक लड़का और एक लड़की

उस लड़के का घर आज भी उस लड़की की छत से लिखता है।दोनों घरो के बीच माना की दोमंजिले मकान खड़े हो गए हैं फिर भी अभी भी झलक मिलती है।आज कल तो लड़का दिखता ही नही शायद किसी प्राइवेट कंपनी में मजदूरी करने जाता है ।पहले भी क्या दिन थे अपने मोहल्ले में पढाई में सबसे तेज हुआ करता था। 9वीं की परीक्षा के बाद उम्मीदें जैसे बढ़ गयी थीं उससे 10  वी में बेटा कमाल करेगा ।उमर का लेकिन सत्तरहवां साल ।वो लड़की केघर के पास क्रिकेट खेलने आता था।लड़की उसे कभी छत पर कभी घर क बाहर दिख जाती थी।हालांकि लड़की ने कोई इशारा नही किया लेकिन लड़के का उसके घर क पास चक्कर काटना शुरू हो गया।लड़की समझती तो थी ही की लड़का इधर क्यों आता है।कभी कभार लड़की अपने घर पे उस लड़के की बात भी करती की कितना तेज है पढ़ने में हालांकि घरवाले उसमे छिपे उसके अनुभाव जान नही पाते थे।अब तो स्थिति ये हो गयी थी लड़की कपड़े सुखाने छत पर जाती तो वो उसको दूर से अपनी छत से  उसे घूर रहा होता।लड़की उससे 2 कक्षा आगे थी।लड़की 11वीं में थी और लड़का 9वीं में।लड़का लड़की का स्कूल जाते वक़्त पीछा करता कुछ कहने की कोशिश करता लेकिन लड़की मौका नही देती।लड़के के बहुत प्रयासों क बाद भी लड़की उसको मौका नही देती बात करने का मिलने का।लड़का लड़की को छोटी सी चिट्टी छोटे बच्चों क हाथ भिजवाता था लेकिन लड़की जवाब नही देती थी।लड़के का घर के इधर उधर चक्कर लगाना और शुरू हो गया।एक दिन लड़के ने किसी तरह लड़की के घर का फ़ोन नंबर प्राप्त कर लिया।अब फ़ोन आता तो लड़की सहम जाती की कही उस लड़के का ही फ़ोन न हो ।लड़का अक्सर करके फ़ोन करता ।कभी लड़की क घरवाले उठाते तो वो फ़ोन काट देता था।एक बार लड़की ने साफ़ साफ़ बात करने की ठानी और रात में उसे फ़ोन किया ।लड़का तो जैसे सातवें आसमान पर पहुँच गया था।लड़की ने तो सब सुलझाने के लिए फ़ोन किया था लेकिन लड़का तो बिलकुल पागल सा हो गया था वो लड़की के प्रति अपनी भावनाये व्यक्त करने लगा,उसकी तारीफ करने लगा।लड़की को भी अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगने लगा लेकिन लड़की बस उसी तारीफ क मद में थी,प्रेम से बिलकुल अनछुई लेकिन लड़के को लड़की से एकतरफा प्रेम हो गया था।लड़की अब उससे बात कर लेती थी कभी कभी एक दो बार छिप छिपा के मिलने भी जाती थी।लड़के के मन में एकदम नयी उमंगें सी झूल रही थीं लेकिन एक दिन लड़की क घर वालो ने उसे फ़ोन पर बात करते सुन लिया फिर क्या था लड़की पर नज़र रखी जाने लगी बात करना बन्द हो गया।लड़का तो जैसे बदहवास हो गया उसको कुछ सूझता ही नही था पढाई लिखाई सब छोड़ दी।लड़की को आये दिन स्कूल से लौटते वक़्त रोकने की कोशिश करता लेकिन लड़की घरवालो के डर   से न रूकती ।लड़की की दिलचस्पी लड़के से धीरे धीरे खत्म हो रही थी।लेकिन लड़के का पागलपन बढ़ता ही जाता था।लड़के की नजरें अब जैसे लड़की को परेशान करने लगी ,लड़की बाहर जाने से डरने लगी।लड़की से वो किसी न किसी तरीके से संपर्क करने की कोशिश करता लेकिन सफल न होता।दोनों की जिंदगियां जैसे उस एक साल में बदल गयीं लड़का 10 वीं मे तृतीय श्रेणी में ही उत्तीर्ण हो पाया।लड़की ने हिम्मत दिखाई 12वीं 66%अंको से साथ उत्तीर्ण किया।लड़की कुछ करना चाहती थी।लड़का अब भी लड़की से संपर्क का कोई मौका नही छोड़ता था।लड़की ने बी .एस.सी(गणित) में दाखिला लिया।लड़का अब उसके कॉलेज के पास दिखने लगा।लड़की ने देखा जब अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा है तो एक दिन उसने लड़के को सबके सामने एक जोरदार थप्पड लगा दिया।पहली बार लड़के को बहुत बुरा लगा।वो उसके बाद से लड़की को नही  मिलने की कोशिश करता।लेकिन बाद में लड़की को अपने मोहल्ले की लड़कियो से पता चला की वो लड़का उसके बारे में उलटी सीधी बाते फैला रहा है। गाँव में सबको शक तो था की लड़के और लड़की के बीच कुछ चल रहा है लेकिन अब इस तरह तो बाते शुरू हो गयी पुरे गाव भर में।लड़के को वो थप्पड़ चुभ गया था।वो प्रतिशोध ले रहा था।लड़के को अब भी लड़की से प्रेम है।लेकिन लड़की को न तब था न अब है।इन हरकतों के बाद लड़की को कॉलेज जाने से मना कर दिया गया ।लेकिन लड़की ने कुछ कर दिखाने का  वादा किया तब उसको दोबारा कॉलेज की अनुमति दी गयी।उधर लड़के के घरवालो ने सोचा जैसे तैसे ये 12वीं पास कर ले लेकिन वो पास न हो सका। लड़की आज एक राष्ट्रीय बैंक में सहायक मेनेजर है और लड़का मजदूरी करने जाता है ।आज भी दोनों एक दूसरे को देखते हैं लेकिन ऐसा लगता है जैसे कभी कोई रिश्ता ही नही था।लड़का अब भी लड़की को याद करता है लेकिन शायद दुनियादारी समझ गया है।लड़की में पहले भी आत्मविश्वास की कमी थी अब भी कमी है ।लड़की ने सिरे से नकार दिया था लड़के को।घरवालो के डर से गाँव समाज क डर से और स्वयं के डर से।सबसे बडा डर था स्वयं से डर ।लेकिन लड़के को भी सही कहना या गलत कहना किसी के बस में नही है।लड़का भी वहीँ है लड़की भी वहीँ है बस जिंदगी का एक अरसा बीत गया है।





8 comments:

  1. nice1....but these days does it happens?? feels lyk story of 70s to late 90s...

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  2. Kis duniya me hain sir ji...isse bhi bht worse hota h abhi bhi..up k gaavo me jakr dekhiye... nd it is the the story of 2010.. real lyf incident based

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  3. Good story ..such things happens in real..!

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  4. Good story ..such things happens in real..!

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  5. speechless....nice lines with right thinking and yes ...it is true in many rural areas of UP

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  6. Yane ki apki sayad har kahaniya hi vastavik hai.

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