ये घटायें घनघोर सी छायी हैं
तेरे दिल को क्या मेरी कुछ याद आयी है..
आरजू तुम्हारी सदियों से थी हमको
तुमको क्या कुछ ऐसी उम्मीद नज़र आई है
संग तुम्हारे जो बिता था पल
एक कहानी बन के रग रग में है बस गया
कुछ उम्मीदों की कड़ियाँ थी
और कुछ सपनो की घड़ियाँ थीं
विचित्र स्तिथि में अब हैं हम
क्या तुमको कुछ कहना भी है
इसके आगे क्या तुमको और भी कही तक जाना है
हाँ कह कर तुम सफल मेरा जीवन कर दोगे
न भी कह दोगे तो कोई खास फ़र्क़ न आएगा
तेरे दिल को क्या मेरी कुछ याद आयी है..
आरजू तुम्हारी सदियों से थी हमको
तुमको क्या कुछ ऐसी उम्मीद नज़र आई है
संग तुम्हारे जो बिता था पल
एक कहानी बन के रग रग में है बस गया
कुछ उम्मीदों की कड़ियाँ थी
और कुछ सपनो की घड़ियाँ थीं
विचित्र स्तिथि में अब हैं हम
क्या तुमको कुछ कहना भी है
इसके आगे क्या तुमको और भी कही तक जाना है
हाँ कह कर तुम सफल मेरा जीवन कर दोगे
न भी कह दोगे तो कोई खास फ़र्क़ न आएगा
Bht achha likha hai aapne...good
ReplyDeleteBht achha likha hai aapne...good
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