तुमको आदत बना लिया था
इस कदर तुमको दिल में बसा लिया था
इनकार में इकरार को छिपा लिया था
चाहत को अपनी कुछ यूँ भुला दिया था
सशर्त प्रेम में देहलीज़ को पार कर दिया था
तुमको एक पल देखने को सब बिसार दिया था
तुम्हें जिंदगी से ज़्यादा समझ लिया था
मेरी मुस्कराहट मुड़ गयी थी तुम्हारी मुस्कराहट के लिए
तुमको बस कुछ इस तरह अपना बना लिया था
रास्ते में तुमसे मिली तो अजनबियों की तरह
कुछ ऐसा मैंने तुमसे फासला बना लिया था
तुम्हारे एक कदम से जिंदगी का रुख बदल गया था
अब उन राहों पर अकेले चलना स्वीकार कर लिया था
तुमसे शिकायत करना भी तो नहीं आता मुझे तो
तुम पर ऐतबार जो कर लिया था
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